सोमवार, 12 अक्तूबर 2015

इतिहास में आजः 12 अक्टूबर

12 अक्टूबर 1928 के दिन पहली बार अमेरिका के बोस्टन में चिल्ड्रन हॉस्पिटल में एक बच्ची के लिए 'आयरन लंग' नाम की मशीन का इस्तेमाल किया गया.
आठ साल की बच्ची का श्वसन तंत्र पोलियो या इन्फैंटाइल पैरालिसिस के कारण काम करना बंद कर चुका था. सांस नहीं लेने के कारण वह मरने की हालत में पहुंच गई थी. उस दौरान आयरन लंग रेस्पिरेटर का पहली बार क्लीनिकल प्रयोग किया गया. एक मिनट के अंदर उस बच्ची की जान बची और मशीन मशहूर हो गई.
पांच अंग जो छप सकते हैं
किडनी
3डी तकनीक से किडनी बनाना जटिल प्रक्रिया है क्योंकि यह बहुत जटिल अंग है. लेकिन अमेरिका के वेक फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ रिजनरेटिव मेडिसिन में यह संभव हो सका है. बायोप्रिंटेड किडनी अभी काम नहीं कर रही लेकिन शोध जारी है. जल्द ही यह संभव होने की उम्मीद है.

ड्रिंकर रेस्पिटेर के नाम से मशहूर इस मशीन को फिलिप ड्रिंकर और लुइस अगासिज ने बनाया था. मशीन इलेक्ट्रिक मोटर से चलती थी और उसमें वैक्यूम क्लीनर वाले दो एयर पंप लगे हुए थे. एयर पंप से चौकोन, एयर टाइट मेटल बॉक्स के जरिए हवा फेंफड़ों से निकाली और उसमें डाली जा सकती है. इसे निगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर कहा जा सकता है. इसे तब इस्तेमाल किया जाता है, जब किसी बीमारी के कारण सांस नहीं आ सके.



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